क्या खूब पत्थरों में वफा ढूंढते हैं लोग -लिरिक्स

[intro]

(शेर -तालिब अंसारी)
दुनिया से मैं ने भी कोई रग़बत नहीं रखी
उस ने भी मुझ से सर्फ़-ए-नज़र कर लिया तो क्या 

[chorus]
क्या खूब पत्थरों में
वफा ढूंढते हैं लोग
दिल की सच्चाई को
सर्फ-ए-नज़र  
करते हैं लोग।
[instrumental break]
[verse]
खुद से भी
बेखबर
पराई राहें
चुनते हैं
आईने में
अक्स को
अनजान
समझते हैं
लोग।
[instrumental break]
[chorus]
क्या खूब पत्थरों में
वफा ढूंढते हैं  लोग
दिल की सच्चाई को
सर्फ-ए-नज़र  
करते हैं लोग।
[instrumental break]
[verse]
फूलों की
बातें हैं
खुशबू की भी
कसमें
फिर भी
कांटों में ही
प्यार
बुनते हैं
लोग।
[instrumental break]
[chorus]
क्या खूब पत्थरों में
वफा ढूंढते हैं  लोग
दिल की सच्चाई को
सर्फ-ए-नज़र  
करते हैं लोग।
[instrumental break]
[verse]
एक हल्की सी
 हवा
झोंका
दिल को
छू जाए
पर
आँधियों में भी
सुकून
ढूंढते हैं
लोग।
[instrumental break]
[chorus]
क्या खूब पत्थरों में
वफा ढूंढते हैं  लोग
दिल की सच्चाई को
सर्फ-ए-नज़र  
करते हैं लोग।
[instrumental break]
[verse]
अफसानों में
जीते हैं
 ख्वाबों में रहते हैं
पर हकीकत की
 हद को
पार
करते हैं
 लोग।
[instrumental break]
[chorus]
क्या खूब पत्थरों में
वफा ढूंढते हैं  लोग
दिल की सच्चाई को
सर्फ-ए-नज़र  
करते हैं लोग।

~दिलीप सोनी नाचना 

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